अनुसूचित जनजातियाँ वे समुदाय हैं जिन्होंने ऐतिहासिक रूप से सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक रूप से हाशिए पर रहने का सामना किया है। इन समुदायों की अपनी विशिष्ट भाषाएँ, संस्कृतियाँ, परंपराएँ और रीति-रिवाज हैं। वे अक्सर वन क्षेत्रों, पहाड़ी इलाकों और अन्य दुर्गम क्षेत्रों में निवास करते हैं।
भारत के संविधान के अनुच्छेद 342 के अंतर्गत 700 से अधिक अनुसूचित जनजातियां अधिसूचित है, जिन्हे शिक्षा, नौकरी और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में विशेष आरक्षण प्रदान किया जाता है ताकि समाज में समानता लाया जा सके।
भारत में अनुसूचित जनजातियाँ
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 46 राज्यों को अनुसूचित जनजातियों को विशेष शिक्षा और अर्थ संबंधी हितों की सावधानी से अभिवृद्धि और सामाजिक अन्याय और सभी प्रकार के शोषण से संरक्षा प्राप्त करने और अनुच्छेद 15(4) और 16(4क) सामाजिक, शैक्षणिक और राजनितिक रूप से उन्नति हेतु विशेष प्रावधान करने का निर्देश देता है।
भारत में, 2011 की जनगणना के अनुसार 10,42,81,034 अनुसूचित जनजातियाँ हैं, जो देश की कुल आबादी की 8.6 प्रतिशत है। जिन्हे भारत सरकार की नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 7.5% आरक्षण की व्यवस्था किया गया है। यह आरक्षण की प्रतिशत अलग अलग राज्यों में उस राज्य की जनसंख्या के आधार पर अलग अलग है। आप अपनी राज्य में मिलने वाली आरक्षण की प्रतिशत अपने राज्य की जाति सूची पृष्ठ पर पढ़ सकते हैं।
यदि आप भारत के किसी भी राज्य में अनुसूचित जनजाति समुदाय से आते है और सरकारी नौकरियों एवं शैक्षणिक संस्थानों और राजनीति में आरक्षण की सुविधा लेना चाहते हैं तो अपने जाति का नाम अपने राज्य के अनुसूचित जनजातियों की सूची में चेक करने की आवश्यकता पड़ सकता है। जो इस लेख में राज्यवार पढ़ने को मिलेगा।
भारत में राज्यवार एसटी जाति सूची
नीचे तालिका में राज्यवार एसटी जाति सूची दिया गया है आप जिस राज्य/केंद्र शासित के मूलनिवासी हैं उस पर क्लिक कर जातियों का सूची पढ़े।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उत्तर
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भारत में अनुसूचित जनजातियाँ कितनी हैं?
भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार 10.42 करोड़ अनुसूचित जनजातियाँ हैं, जिन्हें 700 से अधिक जनजाति समूहों में वर्गीकृत किया गया है।
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अनुसूचित जनजातियों को संवैधानिक सुरक्षा क्यों प्रदान की गई है?
अनुसूचित जनजातियों को ऐतिहासिक रूप से सामाजिक, शैक्षणिक, राजनितिक और आर्थिक रूप से हाशिए पर रखा गया है। इसलिए संविधान उन्हें समानता और न्याय सुनिश्चित करने और उनके विकास को बढ़ावा देने के लिए विशेष सुरक्षा प्रदान करता है।
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अनुसूचित जनजातियाँ किन चुनौतियों का सामना करती हैं?
अनुसूचित जनजातियाँ गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण, भेदभाव और स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुंच जैसी कई चुनौतियों का सामना करती हैं।
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अनुसूचित जनजातियों के विकास के लिए सरकार क्या कर रही है?
सरकार ने अनुसूचित जनजातियों के विकास के लिए कई योजनाएं और कार्यक्रम शुरू किए हैं, जिनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और आवास इत्यादि शामिल हैं।
निष्कर्ष
इस लेख में भारत के जिस जिस राज्य में अनुसूचित जनजाति की आबादी है उस सभी राज्यों की सूची दी गई है, जिसे आप पढ़ सकते है। अनुसूचित जनजातियाँ भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। इन समुदायों को सशक्त बनाने और उनके विकास को सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है।