अनुसूचित जातियाँ वे समुदाय हैं जिन्होंने ऐतिहासिक रूप से सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक रूप से हाशिए पर रहने और छुआछूत का सामना किया है। सामाजिक न्याय और समाज में समानता लाने के उद्देश्य से जिन्हें शिक्षा, रोजगार और सरकारी योजनाओं में आरक्षण प्रदान किया जाता है।
भारत में अनुसूचित जातियाँ
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत अनुसूचित जाति की सूची में लगभग 1109 जातियों को शामिल किया गया है। यह सूची समय-समय पर संशोधित की जाती है।
भारत में, 2011 की जनगणना के अनुसार 20,13,78,086 अनुसूचित जातियाँ हैं, जो देश की कुल आबादी की 16.6% है, जिन्हे भारत सरकार की नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 15% आरक्षण की व्यवस्था किया गया है। यह आरक्षण की प्रतिशत अलग अलग राज्यों में उस राज्य की जनसंख्या के आधार पर अलग अलग है। आप अपनी राज्य में मिलने वाली आरक्षण की प्रतिशत अपने राज्य की जाति सूची पृष्ठ पर पढ़ सकते हैं।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 46 राज्यों को अनुसूचित जातियों (Scheduled Castes) को विशेष शिक्षा और अर्थ संबंधी हितों की सावधानी से अभिवृद्धि और सामाजिक अन्याय और सभी प्रकार के शोषण से संरक्षा प्राप्त करने और अनुच्छेद 15(4) और 16(4क) सामाजिक, शैक्षणिक और राजनितिक रूप से उन्नति हेतु विशेष प्रावधान करने का निर्देश देता है।
यदि आप भारत के किसी भी राज्य में अनुसूचित जाति समुदाय (Scheduled Caste Community) से आते है और सरकारी नौकरियों एवं शैक्षणिक संस्थानों और राजनीति में आरक्षण की सुविधा लेना चाहते हैं तो अपने जाति का नाम अपने राज्य के अनुसूचित जातियों की सूची में चेक करने की आवश्यकता पड़ सकता है। जो इस लेख में राज्यवार पढ़ने को मिलेगा।
भारत में राज्यवार अनुसूचित जाति
भारत में प्रत्येक राज्य की अपनी अनुसूचित जाति सूची होती है, जिसमें उन जातियों को शामिल किया जाता है जिन्हें उस विशेष राज्य में पिछड़ा माना जाता है। इन सूचियों में भिन्नताएं होती हैं क्योंकि सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन का स्तर और विभिन्न राज्यों में जातियों का वितरण भिन्न होता है।
नीचे तालिका में राज्यवार एससी जाति सूची दिया गया है आप जिस राज्य/केंद्र शासित के मूलनिवासी हैं उस पर क्लिक कर जातियों का सूची पढ़े।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उत्तर
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भारत में कितनी अनुसूचित जातियाँ हैं?
भारत में लगभग 1109 अनुसूचित जाति की जातिया हैं, जनगणना 2011 के अनुसार जिनकी कुल आबादी लगभग 20.13 करोड़ है।
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अनुसूचित जाति की सूची कौन बनाता है?
अनुसूचित जाति की सूची राज्यों की सरकार के अनुशंसा पर भारत सरकार द्वारा बनाई और संशोधित की जाती है।
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क्या सभी राज्यों में अनुसूचित जाति की सूची समान है?
नहीं, सभी राज्यों में अनुसूचित जाति की सूची समान नहीं है। प्रत्येक राज्य की अपनी सूची होती है जिसमें वे जातियाँ शामिल होती हैं जिन्हें उस राज्य में पिछड़ा माना जाता है।
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अनुसूचित जाति की सूची का क्या महत्व है?
अनुसूचित जाति की सूची सामाजिक न्याय और समानता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। यह एससी समुदायों के सदस्यों को शिक्षा, रोजगार और सरकारी योजनाओं तक पहुंच प्रदान करके उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाने में मदद करता है।
निष्कर्ष
इस लेख में भारत के जिस जिस राज्य में अनुसूचित जाति (Scheduled Caste) की आबादी है उस सभी राज्यों की सूची दी गई है। अनुसूचित जाति को विशेष आरक्षण सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक रूप से उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, फिर भी सामाजिक, शैक्षणिक, राजनितिक और आर्थिक असमानताएं बनी हुई हैं। जातिवाद और भेदभाव जैसी चुनौतियों का सामना करते हुए, यह महत्वपूर्ण है कि हम सभी समाज में समानता और न्याय को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करें।