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10 बच्चों की कहानियां PDF | Hindi Story for Kids

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यदि आप छोटे बच्चों की कहानियां (Hindi Story for Kids) ढूंढ रहे है तो आप बिल्कुल सही लेख पढ़ रहे हैं क्योकि इस लेख में हम छोटे बच्चों के लिए छोटी छोटी कहानियों का संग्रह प्रतुत किये है, जिसे पढ़ कर आपके बच्चों में भाषा का विकास, कल्पना शक्ति, नैतिक मूल्यों और ज्ञान की वृद्धि होगी। अतः इस लेख को आपको पूरी पढ़ना चाहिए।

विषय सूची

परिचय

बच्चों के लिए कहानियाँ सिर्फ मनोरंजन का जरिया नहीं होतीं, बल्कि ये उनके मानसिक विकास में भी अहम भूमिका निभाती हैं। हिंदी कहानियां बच्चों को अपनी भाषा और संस्कृति से जोड़ती हैं, उनकी कल्पना शक्ति को बढ़ाती हैं, उन्हें नैतिक मूल्यों से परिचित कराती हैं और उनके ज्ञान को बढ़ाती हैं।

बच्चों के लिए हिंदी कहानियों के लाभ क्या है?

  • भाषा विकास: कहानियां बच्चों को नए शब्दों और वाक्यों से परिचित कराती हैं और उनकी शब्दावली को बढ़ाती हैं।
  • कल्पना शक्ति: कहानियां बच्चों की कल्पना शक्ति को उड़ान देती हैं और उन्हें रचनात्मक बनने के लिए प्रेरित करती हैं।
  • नैतिक मूल्य: कहानियों के माध्यम से बच्चों को अच्छे बुरे का ज्ञान होता है और वे नैतिक मूल्यों को सीखते हैं।
  • ज्ञान वृद्धि: कहानियां बच्चों को विभिन्न विषयों के बारे में जानकारी देती हैं और उनकी जिज्ञासा को शांत करती हैं।
  • मनोरंजन: कहानियां बच्चों को मनोरंजन प्रदान करती हैं और उन्हें तनाव मुक्त रखती हैं।

कहानियों के प्रकार

इस लेख में KhojHal बच्चों के लिए हिंदी कहानियों की एक विस्तृत श्रृंखला लेकर आया हैं, जैसे:

  • लोककथाएं: ये कहानियां पीढ़ी दर पीढ़ी मौखिक रूप से बताई जाती रही हैं और बच्चों को लोक संस्कृति से जोड़ती हैं।
  • परीकथाएं: इन कहानियों में राजकुमार, राजकुमारियां, जादूगर और अन्य काल्पनिक पात्र होते हैं जो बच्चों को एक अद्भुत दुनिया में ले जाते हैं।
  • पशु कथाएं: इन कहानियों में जानवरों को मानवीय गुण दिए जाते हैं और इनके माध्यम से बच्चों को जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में समझाया जाता है।
  • समाजिक मुद्दों पर आधारित कहानियाँ: ये कहानियाँ बच्चों को समाज में होने वाले विभिन्न मुद्दों के प्रति जागरूक बनाती हैं।

बच्चों की कहानियां (Hindi Story for Kids)

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Story for kids in hindi – एआई द्वारा जनरेटेड प्रतीकात्मक चित्र

कहानी 1: नन्हा नवीन और उसके कर्तव्य

एक छोटे से गाँव में नन्हा नवीन नाम का एक बच्चा रहता था। वह बहुत उत्साही और समझदार था। नवीन को अपने देश और गाँव से बहुत प्यार था। उसकी दादी अक्सर उसे देश के बारे में कहानियाँ सुनाती थीं और उसे यह भी बताती थीं कि एक अच्छे नागरिक के क्या कर्तव्य होते हैं। नवीन ने सोचा, “जब मैं बड़ा हो जाऊँगा, तो अपने देश और गाँव की सेवा करूँगा।”

एक दिन, नवीन ने देखा कि गाँव में जगह-जगह कूड़ा फैला हुआ है। उसने सोचा कि यह सही नहीं है। उसने अपने दोस्तों, सुमित और सिया, को बुलाया और कहा, “हमें अपने गाँव को साफ रखना चाहिए। चलो, हम एक सफाई अभियान शुरू करते हैं!” सुमित और सिया ने उसकी बात मान ली और तीनों बच्चे मिलकर गाँव की सफाई करने लगे।

नवीन ने समझाया, “हमारा कर्तव्य है कि हम अपने आसपास को साफ रखें। अगर हम ऐसा नहीं करेंगे, तो यह हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होगा।” सभी बच्चों ने मिलकर कचरा इकट्ठा किया और उसे सही जगह पर डाल दिया। धीरे-धीरे, गाँव की सड़कों पर साफ-सफाई हो गई, और लोग उनकी सराहना करने लगे।

इसके बाद, नवीन ने सोचा कि गाँव में शिक्षा का स्तर भी सुधारना चाहिए। उसने गाँव के बच्चों से कहा, “अगर हमें आगे बढ़ना है, तो हमें पढ़ाई पर ध्यान देना होगा। चलो, हम मिलकर पढ़ाई करेंगे!” उसने एक अध्ययन समूह बनाया, जहाँ सभी बच्चे एक साथ मिलकर पढ़ाई करने लगे।

एक दिन, गाँव में एक समस्या आई जब कई लोग बीमार हो गए। नवीन ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर गाँव के बड़े लोगों से कहा, “हमें सभी बीमार लोगों की मदद करनी चाहिए। हमें एकत्र होकर उनके लिए दवाइयाँ और खाना लाना चाहिए।” गाँव के लोग उनके जज़्बे को देखकर उनकी मदद करने के लिए तैयार हो गए।

नवीन ने समझा कि अपने अधिकारों के साथ-साथ अपने कर्तव्यों का भी पालन करना बहुत ज़रूरी है। उसने अपने दोस्तों को यह सिखाया कि एक अच्छा नागरिक बनने के लिए हमें अपने कर्तव्यों को निभाना चाहिए।

कहानी का सीख:

  • अपने कर्तव्यों को समझना और निभाना हर नागरिक का काम है।
  • स्वच्छता और शिक्षा के प्रति जागरूकता हमारे देश को मजबूत बनाती है।
  • किसी भी समस्या का सामना मिलकर करना चाहिए, ताकि हम सब मिलकर बेहतर समाज बना सकें।

आगे पढ़िए लोककथा से जुडी छोटे बच्चों के लिए दो कहानियां

कहानी 9: सच्चे दोस्त की पहचान

गाँव के पास एक छोटी सी पहाड़ी थी जहाँ एक घना जंगल था। उस जंगल में कई जानवर रहते थे और उनमें से तीन अच्छे दोस्त थे – एक चालाक लोमड़ी, एक मेहनती खरगोश, और एक समझदार कछुआ। तीनों का गहरा दोस्ताना था, और वे हर दिन साथ में खेलते और भोजन की तलाश में जाते।

एक दिन लोमड़ी ने खरगोश और कछुए से कहा, “हम सबमें कुछ न कुछ खासियत है। क्यों न आज हम अपनी खूबियों से इस जंगल के राजा शेर को खुश करें और उसकी प्रशंसा पाएं?”

खरगोश और कछुआ मान गए, और तीनों शेर के पास जाने की योजना बनाने लगे। खरगोश ने कहा, “मैं तो दौड़ने में तेज हूं, मैं शेर को अपनी तेज़ी दिखाकर खुश करूंगा।” कछुआ बोला, “मैं धीरे-धीरे पर निरंतर आगे बढ़ सकता हूं। मैं शेर को यह सिखाऊंगा कि धैर्य भी बहुत मायने रखता है।” लोमड़ी ने अपनी चतुराई से योजना बनाई कि वह शेर को कोई नई तरकीब सिखाकर खुश करेगी।

अगले दिन तीनों शेर के पास पहुंचे और अपनी-अपनी खूबियां दिखाने लगे। खरगोश ने अपनी तेज़ी से शेर के चारों ओर दौड़ लगाई, कछुए ने धीरज से आगे बढ़ने की महत्ता समझाई, और लोमड़ी ने अपने चतुराई भरे विचारों से शेर को एक नई रणनीति सुझाई। शेर ने सबकी बातें ध्यान से सुनी और उनकी खूबियों की सराहना की।

अचानक, शेर ने उन तीनों से पूछा, “क्या तुम तीनों सच्चे दोस्त हो?” तीनों ने एक साथ सिर हिलाया और कहा, “हाँ, हम सच्चे दोस्त हैं।” शेर ने एक मुस्कान के साथ कहा, “तो देखो, सच्चे दोस्त सिर्फ अपनी-अपनी खूबियों का ही नहीं, बल्कि एक-दूसरे की कमियों का भी सम्मान करते हैं और हमेशा साथ निभाते हैं।”

इसके बाद शेर ने एक बात बताई, “एक दिन ऐसा भी आएगा जब तुम तीनों को एक-दूसरे की खूबियों से ज्यादा एक-दूसरे की कमियों का साथ देना पड़ेगा। जो दोस्त इन दोनों बातों का सम्मान करेगा, वही सच्चा दोस्त कहलाएगा।”

तीनों दोस्तों ने इस सीख को अपने दिल में बसा लिया और शेर को धन्यवाद दिया। उन्होंने ठान लिया कि वे अपनी खूबियों और कमियों के साथ मिलकर एक-दूसरे का साथ हमेशा देंगे।

कहानी का सीख

  • सच्ची दोस्ती में खूबियों और कमियों का समान महत्व होता है – सच्चे दोस्त एक-दूसरे की ताकतों के साथ-साथ कमजोरियों का भी आदर करते हैं।
  • सच्चे दोस्त मुश्किल समय में साथ रहते हैं – दोस्ती का असली मतलब तभी समझ में आता है जब हम एक-दूसरे की कठिनाइयों में साथ देते हैं।
  • हर व्यक्ति की अपनी खासियत होती है – सभी में कोई न कोई विशेषता होती है, जो उन्हें दूसरों से अलग बनाती है। हमें अपनी विशेषताओं पर गर्व करना चाहिए और उनका सही उपयोग करना चाहिए।
  • धैर्य और निरंतरता का महत्व – कछुए ने सिखाया कि धैर्य और निरंतर प्रयास से हम हर चुनौती का सामना कर सकते हैं।
  • मिल-जुलकर काम करने से ही सच्ची दोस्ती कायम रहती है – सच्चे दोस्त अपनी खूबियों और कमियों के साथ मिलकर जीवन में आगे बढ़ते हैं।

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कहानी 8: दोस्ती का इनाम

एक बार की बात है, एक हरा-भरा गाँव था जिसमें कई तरह के पक्षी रहते थे। उनमें एक नन्हा तोता और एक समझदार मैना बहुत अच्छे दोस्त थे। तोता हमेशा चहकता और खुश रहता था, लेकिन उसे छोटी-छोटी चीजों में भी जल्दी से गुस्सा आ जाता था। दूसरी तरफ, मैना शांत और धैर्यवान थी, और हमेशा तोते को समझाती कि गुस्सा छोड़ कर धैर्य रखना बेहतर होता है।

एक दिन गाँव में एक बड़ी तूफानी बारिश आई। सारे पक्षी अपने-अपने घोंसलों में छिप गए। बारिश खत्म होने के बाद तोता और मैना अपने लिए भोजन की तलाश में उड़ चले। अचानक, तोते की नज़र एक पेड़ के नीचे गिरे पके हुए फलों पर पड़ी। वह तुरंत वहाँ जाकर खाना शुरू कर दिया।

उसी वक्त एक बगुला भी वहां आ पहुंचा और उसने भी उन फलों को खाने की कोशिश की। तोता तुरंत गुस्से में आ गया और बगुले को वहाँ से भगा दिया। यह देख मैना ने तोते को समझाया, “हमें दूसरों के साथ बाँटना सीखना चाहिए। अगर हम दूसरों के लिए थोड़ा सा भी कर सकते हैं, तो वह हमारे जीवन को भी बेहतर बनाता है।”

तोते ने यह बात सुनी, लेकिन उसे समझ में नहीं आई। कुछ देर बाद तोते को प्यास लगी, और उसने एक तालाब की तरफ उड़ान भरी। तालाब के पास पहुँचा, तो देखा कि पानी बहुत गंदा हो गया था और उसे वहाँ से पीना संभव नहीं था।

मैना ने तब कहा, “यदि तुमने बगुले को खाना बाँटने दिया होता, तो वह तुम्हें एक साफ तालाब का रास्ता दिखा सकता था।”

तोते ने मैना की बात समझी और पछताया। उसने महसूस किया कि यदि उसने बगुले के साथ अच्छा व्यवहार किया होता, तो शायद उसे भी मदद मिलती। तब से तोते ने सभी पक्षियों के साथ दोस्ती करना और चीजें बाँटना सीख लिया।

कहानी से सीख:

  • साझा करने और मदद करने से जीवन बेहतर बनता है – दूसरों के साथ बाँटना और मदद करना हमें भी लाभ पहुंचा सकता है।
  • गुस्से में लिया निर्णय अक्सर नुकसान पहुंचा सकता है – गुस्से में हमें धैर्य रखना चाहिए और अच्छे से सोचकर निर्णय लेना चाहिए।
  • अच्छे व्यवहार का असर – यदि हम दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करेंगे, तो हमें भी दूसरों से वही मिलेगा।
  • दोस्ती में धैर्य और समझ का महत्व – दोस्ती में एक-दूसरे को समझना और धैर्य रखना जरूरी है ताकि हम कठिन समय में एक-दूसरे की मदद कर सकें।

आगे पढ़िए परीकथा से जुडी छोटे बच्चों के लिए दो कहानियां

कहानी 7: सच्ची बहादुरी का इनाम

एक घना जंगल था, जहाँ हर जानवर अपनी समझदारी और बहादुरी के लिए मशहूर था। उनमें से एक छोटा खरगोश था, जिसका नाम ‘नन्हा’ था। नन्हा, देखने में तो छोटा था, पर दिल से बहुत बहादुर और होशियार था।

जंगल में हर साल ‘बहादुरी का इनाम’ नामक एक प्रतियोगिता होती थी, जिसमें सारे जानवर अपनी ताकत और होशियारी का प्रदर्शन करते थे। इस बार प्रतियोगिता की एक विशेष चुनौती थी – ‘सच की राह’। इसमें हर जानवर को जंगल के एक मुश्किल रास्ते से गुजरकर उस पेड़ तक पहुँचना था, जहाँ इनाम रखा हुआ था।

नन्हा इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेना चाहता था, पर बाकी जानवरों ने उसका मजाक उड़ाया। सबने कहा, “तू इतना छोटा है, रास्ते में ही थक जाएगा। बहादुरी का इनाम बड़े जानवरों के लिए है!” लेकिन नन्हा ने ठान लिया कि वह भी कोशिश करेगा।

जैसे ही प्रतियोगिता शुरू हुई, सारे जानवर तेजी से दौड़ने लगे। रास्ते में बहुत सारे कांटे, पत्थर और पेड़ थे, जिनसे बचना मुश्किल था। बड़े जानवर जल्दबाजी में दौड़ते चले गए, पर नन्हा ने हर कदम सोच-समझकर रखा। उसने नजदीकी झाड़ियों और पेड़ों का सहारा लिया और धीरे-धीरे आगे बढ़ा।

रास्ते में उसे एक घायल चिड़िया मिली। बाकी जानवर तो उसे अनदेखा करके आगे बढ़ गए थे, लेकिन नन्हा ने अपने छोटे पंजों से उसे उठाया और एक सुरक्षित स्थान पर छोड़ दिया। फिर वह अपने लक्ष्य की ओर बढ़ गया। रास्ते में उसने एक घायल हिरण की मदद भी की।

आखिरकार, नन्हा सबसे आखिरी में उस पेड़ तक पहुँचा, पर उसने हर बाधा को पार कर लिया था। जब इनाम देने का समय आया, तो जंगल के राजा शेर ने नन्हे की बहादुरी और दया की सराहना की। शेर ने कहा, “सच्ची बहादुरी का मतलब सिर्फ ताकत से नहीं, बल्कि दूसरों की मदद से है। नन्हा, तुमने अपनी सूझबूझ और दयालुता से सच में बहादुरी का सबूत दिया है।”

नन्हे को बहादुरी का इनाम मिला और बाकी जानवरों को उसकी सच्ची बहादुरी से प्रेरणा मिली।

कहानी का सीख:

  • सच्ची बहादुरी केवल ताकत में नहीं, बल्कि समझदारी और दया में होती है।
  • दूसरों की मदद करना हमेशा अच्छा होता है, चाहे हम कितने ही छोटे क्यों न हों।
  • चुनौतियों का सामना हिम्मत और धैर्य से करना चाहिए।

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कहानी 6: जंगल का सबसे अच्छा दोस्त

एक बार की बात है, एक सुंदर जंगल में सभी जानवर एक साथ मिल-जुलकर रहते थे। वहाँ एक नन्हा हिरण था, जिसका नाम था ‘छोटू’। छोटू बहुत चंचल और मस्तीखोर था, लेकिन उसमें एक खासियत थी – वह सबका सच्चा दोस्त था और हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहता था।

एक दिन जंगल में दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। सारे जानवर इसमें भाग लेना चाहते थे क्योंकि विजेता को जंगल का सबसे खास दोस्त चुना जाना था। छोटू भी बहुत उत्साहित था, लेकिन उसके छोटे पैरों की वजह से कुछ बड़े जानवरों ने उसे चिढ़ाया। उन्होंने कहा, “तुम जीत नहीं पाओगे, तुम तो बहुत छोटे हो!”

लेकिन छोटू ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया और तय किया कि वह प्रतियोगिता में जरूर भाग लेगा। सभी जानवर दौड़ने के लिए तैयार हो गए। जैसे ही दौड़ शुरू हुई, सभी जानवर तेजी से दौड़ने लगे। दौड़ में छोटे-बड़े जानवर सभी थे। रास्ते में कई प्रकार की बाधाएं थीं – पत्थर, झाड़ियाँ, और कच्चे रास्ते।

दौड़ के बीच रास्ते में छोटू ने देखा कि एक नन्हा खरगोश कीचड़ में फँस गया है और बाहर निकलने के लिए मदद माँग रहा है। छोटू दौड़ छोड़कर तुरंत उसके पास गया और उसकी मदद की। खरगोश ने धन्यवाद कहा और छोटू के साथ दौड़ में शामिल हो गया। आगे चलकर उन्होंने एक घायल तोते को देखा, जो उड़ने में असमर्थ था। छोटू और खरगोश ने मिलकर तोते को उठाया और उसे आरामदायक जगह पर बैठाया।

दूसरे जानवर तेजी से दौड़ रहे थे, लेकिन छोटू और उसके साथी धीरे-धीरे सभी को पीछे छोड़ते हुए अपनी मंजिल की ओर बढ़ते रहे। जब वे अंत में दौड़ के खत्म होने के स्थान पर पहुँचे, तो उन्होंने पाया कि उनके साथ मदद किए हुए जानवर भी उनके पीछे-पीछे आ गए हैं।

जंगल के राजा शेर ने देखा कि छोटू ने न केवल दौड़ में हिस्सा लिया, बल्कि सभी की मदद भी की। शेर ने घोषणा की, “आज का सबसे अच्छा दोस्त छोटू है, क्योंकि उसने दूसरों की सहायता करना और एक सच्चा मित्र बनना सिखाया।”

कहानी का सीख:

  • सच्चे दोस्त वही होते हैं, जो मुश्किल वक्त में दूसरों की मदद करें।
  • दूसरों की मदद करना हमें दूसरों के दिलों में जगह दिलाता है।
  • दौड़ में जीतने से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि हम एक अच्छा इंसान या जानवर बनें।

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कहानी 5: फुर्तीला गिलहरी और बुद्धिमान कछुआ

एक घने जंगल में फुर्तीला गिलहरी और धीमा पर बुद्धिमान कछुआ रहते थे। गिलहरी हमेशा उछल-कूद में मस्त रहती थी और अपनी तेज़ रफ्तार पर बहुत घमंड करती थी। दूसरी तरफ, कछुआ अपने काम में मन लगाकर और सोच-समझकर चलता था।

एक दिन, गिलहरी ने कछुए का मजाक उड़ाते हुए कहा, “अरे कछुआ भाई, तुम कितने धीमे हो! इस जंगल में तुम्हें कोई भी जानवर आराम से पीछे छोड़ सकता है।” कछुए ने मुस्कुराते हुए कहा, “तेज़ दौड़ने से ज्यादा महत्वपूर्ण है धैर्य और संयम रखना।”

गिलहरी को यह सुनकर हंसी आ गई और उसने चुनौती देते हुए कहा, “चलो, एक दौड़ लगाते हैं! देखते हैं कि कौन जल्दी पहाड़ी के उस पार पहुँचेगा।” कछुए ने गिलहरी की चुनौती स्वीकार कर ली।

दौड़ शुरू हुई, और गिलहरी बिजली की तरह दौड़ पड़ी। जल्दी ही उसने कछुए को बहुत पीछे छोड़ दिया। उसने सोचा, “कछुआ तो अभी दूर ही होगा। थोड़ी देर आराम कर लेता हूँ।” यह सोचकर वह एक पेड़ के नीचे आराम करने बैठ गई और धीरे-धीरे उसे नींद आ गई।

इधर कछुआ अपने धीमे कदमों से बिना रुके आगे बढ़ता रहा। उसकी चाल भले ही धीमी थी, पर वह निरंतर चल रहा था। आखिरकार, कछुआ गिलहरी को सोता हुआ छोड़कर आगे निकल गया और धीरे-धीरे पहाड़ी के उस पार पहुँच गया।

कुछ देर बाद, गिलहरी की नींद खुली तो उसने देखा कि कछुआ पहले से ही मंजिल पर पहुँच चुका है। वह शर्मिंदा हो गई और कछुए से माफी मांगने लगी। कछुए ने कहा, “तेज़ दौड़ने से ज्यादा जरूरी है कि हम अपने काम में निरंतरता और धैर्य बनाए रखें। यही असली जीत का रास्ता है।”

गिलहरी को अपनी गलती समझ आ गई और उसने ठान लिया कि अब वह घमंड नहीं करेगी और दूसरों का मजाक भी नहीं बनाएगी।

कहानी का सीख:

  • निरंतरता और धैर्य सफलता की कुंजी है।
  • घमंड करना सही नहीं है; हर किसी में कुछ न कुछ खासियत होती है।
  • किसी की धीमी चाल को उसकी कमजोरी न समझें, हर किसी का अपना तरीका होता है।

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कहानी 4: मैना और चींटी की दोस्ती

एक जंगल में एक छोटी सी चींटी और मैना नाम की चतुर चिड़िया रहती थी। दोनों की गहरी दोस्ती थी, और वे अक्सर एक-दूसरे की मदद किया करती थीं। चींटी मेहनती और धैर्यवान थी, जबकि मैना ऊँचाई से देखने में तेज और समझदार थी।

एक दिन, चींटी जंगल में भोजन की तलाश में निकली और एक बड़े पेड़ के पास पहुँच गई, जहाँ कुछ अनाज के दाने बिखरे हुए थे। चींटी बहुत खुश हुई और एक-एक दाना उठाकर अपने घर की तरफ चल पड़ी। लेकिन तभी, उस पर खतरा मंडराने लगा – पास ही एक तेज बहती नदी थी और चींटी उस पार नहीं जा सकती थी।

चींटी ने परेशान होकर मैना को पुकारा। अपनी दोस्त की पुकार सुनकर मैना तुरंत आई और उसने चींटी की समस्या सुनी। मैना ने सोचा कि चींटी के लिए यह मुश्किल चुनौती है। उसने तुरंत एक उपाय सोचा और अपनी चोंच में एक पतली लकड़ी उठाई और उसे नदी के किनारे ले आई। उसने लकड़ी को पानी में डालकर पुल बना दिया, जिससे चींटी सुरक्षित उस पार जा सके।

चींटी ने मैना का धन्यवाद किया और धीरे-धीरे लकड़ी के पुल से नदी पार कर ली। दूसरी तरफ पहुँचने के बाद उसने सभी अनाज के दाने सुरक्षित रख दिए और घर लौट आई।

कुछ दिन बाद, जंगल में अचानक मूसलधार बारिश होने लगी। मैना ने देखा कि बारिश के कारण उसके घोंसले में पानी भरने लगा है, और उसे डर था कि उसका घोंसला गिर सकता है। उसने सोचा कि वह इस मुश्किल से कैसे निपटे। तभी चींटी को अपनी दोस्त की परेशानी का पता चला। चींटी ने अपने दोस्तों की मदद से कई पत्तियाँ और घास इकट्ठी कीं और मिलकर मैना के घोंसले के चारों ओर बाड़ बना दी ताकि पानी उसके घोंसले में न जा सके।

मैना ने मुस्कुराते हुए कहा, “तुम सच में सच्ची दोस्त हो, चींटी!” चींटी ने भी खुशी से जवाब दिया, “दोस्ती का मतलब ही तो एक-दूसरे का सहारा बनना है।” उस दिन से, उनकी दोस्ती और भी गहरी हो गई, और वे हमेशा एक-दूसरे की मदद करने का वादा करके साथ रहने लगे।

कहानी का सीख:

  • सच्चे दोस्त वही होते हैं जो मुश्किल समय में साथ खड़े रहते हैं।
  • हर किसी की अपनी ताकत होती है, और हमें एक-दूसरे की खूबियों को सराहना चाहिए।
  • मिलकर काम करने से हर समस्या का हल निकल सकता है।

कहानी 3: नन्हे दीपक का सपना

एक छोटे से गाँव में दीपक नाम का एक बच्चा रहता था। वह बहुत समझदार और मेहनती था, लेकिन उसके पास अच्छे कपड़े और किताबें नहीं थीं। दीपक के माता-पिता मजदूरी करते थे, और घर का खर्च चलाना मुश्किल था। इसके बावजूद, दीपक का सपना था कि वह पढ़-लिखकर बड़ा इंसान बने और अपने गाँव का नाम रोशन करे।

दीपक की पढ़ाई में रुचि देखकर उसके शिक्षक ने उसे स्कूल में होने वाली निःशुल्क शाम की कक्षाओं के बारे में बताया। इन कक्षाओं में उन बच्चों को पढ़ने का अवसर मिलता था, जिनके पास दिन में काम करने के कारण स्कूल जाने का समय नहीं होता था। दीपक ने अपनी माँ से कहा कि वह शाम की कक्षाओं में पढ़ना चाहता है, और उसकी माँ ने उसकी मेहनत देखकर उसे पढ़ाई करने की अनुमति दे दी।

दीपक दिन में अपने माता-पिता के साथ खेत में काम करता और शाम को कक्षा में पढ़ने जाता। धीरे-धीरे उसने पढ़ाई में अच्छी पकड़ बना ली। वह हर दिन कुछ नया सीखता और अपने सपने के करीब पहुँचता।

गाँव में कुछ लोग दीपक का मजाक उड़ाते थे। वे कहते, “तू गरीब है, पढ़-लिखकर क्या करेगा? तेरी किस्मत में मजदूरी ही है।” लेकिन दीपक ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया और अपने लक्ष्य पर डटा रहा।

एक दिन, स्कूल में प्रतियोगिता हुई, जिसमें पूरे जिले के बच्चों ने हिस्सा लिया। दीपक ने भी उसमें भाग लिया और अपने ज्ञान और मेहनत के दम पर प्रथम स्थान प्राप्त किया। उसके जीतने पर पूरे गाँव में खुशी की लहर दौड़ गई। उसे पुरस्कृत किया गया, और उसकी कहानी से कई बच्चों को प्रेरणा मिली।

अब गाँव के लोग भी दीपक का सम्मान करते थे और समझ गए कि शिक्षा का महत्त्व कितना बड़ा होता है। दीपक ने साबित कर दिया कि गरीबी या कठिनाइयाँ हमें आगे बढ़ने से नहीं रोक सकतीं, अगर हमारे पास एक दृढ़ संकल्प हो।

कहानी का सीख:

  • कठिनाइयाँ हमारी मेहनत और संकल्प को नहीं रोक सकतीं।
  • शिक्षा का महत्त्व बहुत बड़ा है; यह हमें आगे बढ़ने का रास्ता दिखाती है।
  • किसी की आर्थिक स्थिति या हालात के कारण उसे नीचा नहीं देखना चाहिए।

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कहानी 2: एकता में ताकत

एक छोटे से गाँव में अलग-अलग पृष्ठभूमि से आए हुए बच्चे खेला करते थे। गाँव में मुख्यतः तीन बच्चे थे – अमर, बबलू, और सीमा। तीनों का घर अलग-अलग समुदायों में था, और उनके माता-पिता ने उन्हें दूसरों से दूरी बनाए रखने की सलाह दी थी। इसके बावजूद, तीनों के दिलों में एक-दूसरे के प्रति स्नेह और सम्मान था।

एक दिन गाँव में मेला लगा, जहाँ सभी बच्चे खूब मज़े कर रहे थे। उसी दौरान, उन्होंने देखा कि कुछ बाहरी लोग गाँव में आए हैं, जो मेले में झगड़ा करने लगे। उन लोगों ने गाँव के सामान को नुकसान पहुँचाना शुरू कर दिया और मेले में भगदड़ मच गई। सारे लोग डर गए और अपने-अपने घरों की तरफ भागने लगे।

अमर, बबलू, और सीमा ने मिलकर सोचा कि उन्हें अपने गाँव को बचाने के लिए कुछ करना चाहिए। उन्होंने गाँव के सभी बच्चों को इकट्ठा किया और एक योजना बनाई। बच्चों ने मिलकर पूरे गाँव में गाँव वालों को एकजुट करने का काम किया। उन्होंने गाँव के बुजुर्गों और युवाओं से मदद मांगी और उन्हें समझाया कि इस समस्या का सामना केवल मिलकर ही किया जा सकता है।

सभी लोग एकजुट होकर मेले की तरफ बढ़े। गाँव के बुजुर्गों और युवाओं ने मिलकर बाहरी लोगों से बातचीत की और उन्हें समझाया कि उनके इस बर्ताव से गाँव के लोगों का नुकसान हो रहा है। बच्चों की एकता और साहस को देखकर बाहरी लोग गाँव छोड़कर चले गए।

इस घटना के बाद, गाँव वालों ने समझा कि चाहे किसी का धर्म, जाति, या समुदाय अलग हो, एकता में ही असली ताकत है। अमर, बबलू, और सीमा की दोस्ती और उनके साहस ने गाँव को एक महत्वपूर्ण सीख दी – कि हर मुश्किल का सामना एकजुट होकर किया जा सकता है।

अब गाँव के सभी बच्चे मिलकर खेलते थे और कोई भी एक-दूसरे को अलग नजरों से नहीं देखता था। गाँव के बड़े भी अपने पुराने विचारों को छोड़कर एकता के महत्त्व को समझ गए थे।

कहानी का सीख:

  • किसी की जाति, धर्म, या समुदाय की वजह से उसे अलग नहीं करना चाहिए।
  • एकता में बड़ी ताकत होती है, और मिलकर हर समस्या का हल निकाला जा सकता है।
  • भिन्नताओं को भूलकर अगर हम साथ काम करें तो बड़ी से बड़ी मुश्किल आसान हो जाती है।

आगे पढ़िए समता का अधिकार से जुडी छोटे बच्चों के लिए एक कहानियां

कहानी 10: सभी को मिले समान अवसर

एक छोटे से गाँव में दो बच्चे, अजय और राधा, रहते थे। अजय एक धनी परिवार का बेटा था, जबकि राधा एक गरीब किसान की बेटी थी। दोनों बच्चे एक ही स्कूल में पढ़ते थे, लेकिन गाँव में उनके परिवारों के बीच हमेशा एक दूरी बनी रहती थी। अजय के परिवार के लोग सोचते थे कि राधा गरीब है, इसलिए वह उसके साथ नहीं खेल सकते। वहीं राधा के माता-पिता को अजय के परिवार से दूरी बनाकर रखने के लिए कहा गया था।

एक दिन स्कूल में वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिता आयोजित की गई। सभी बच्चों ने उत्साह के साथ भाग लेने की योजना बनाई। अजय ने अपने माता-पिता से कहा, “मैं इस बार दौड़ में भाग लूँगा और जीतूँगा।” राधा ने भी सोच लिया कि वह भी दौड़ में भाग लेगी।

जब प्रतियोगिता का दिन आया, तो सभी बच्चे excited थे। दौड़ शुरू हुई, और अजय तेज़ दौड़ते हुए पहले स्थान पर पहुँच गया। लेकिन जब वह राधा को पीछे से देखता, तो उसे उसे पीछे छोड़ने में हिचकिचाहट होती। उसे समझ में आया कि राधा ने भी उसे कड़ी टक्कर दी थी और वह बहुत मेहनत कर रही थी।

अजय ने राधा को अपने से आगे बढ़ने दिया। वह खुद को रोककर उसके साथ दौड़ा। राधा ने कहा, “तुम आगे बढ़ो, मैं हारने नहीं आई हूँ।” लेकिन अजय ने कहा, “नहीं, हमें मिलकर दौड़ना चाहिए।” उन्होंने मिलकर दौड़ लगाई और अंत में दोनों ने एक साथ अंतिम रेखा को पार किया।

गाँव के सभी लोग इस दोस्ती और सहयोग को देखकर बहुत खुश हुए। उन्होंने देखा कि किसी की आर्थिक स्थिति से उसकी क्षमता तय नहीं होती। दोनों बच्चों ने साबित कर दिया कि वे एक साथ मिलकर किसी भी बाधा को पार कर सकते हैं।

इस घटना के बाद, गाँव के लोग भी समझने लगे कि सभी को समान अवसर मिलना चाहिए, चाहे वे किसी भी पृष्ठभूमि से क्यों न हों। अजय और राधा की दोस्ती ने गाँव में सभी के लिए एक नए बदलाव की शुरुआत की। अब बच्चे बिना किसी भेदभाव के एक-दूसरे के साथ खेलते थे।

कहानी का सीख:

  • सभी को समान अवसर और अधिकार मिलने चाहिए, चाहे उनकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो।
  • दोस्ती और सहयोग से हम सभी मुश्किलें पार कर सकते हैं।
  • भेदभाव को छोड़कर, हमें एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उत्तर

  1. बच्चों के लिए सही कहानियाँ कैसे चुनें?

    बच्चों के लिए सही कहानियाँ चुनते समय उनकी उम्र और रुचियों को ध्यान में रखना बहुत जरूरी है। छोटे बच्चों के लिए सरल और छोटी कहानियाँ बेहतर होती हैं, जबकि बड़े बच्चों के लिए थोड़ी जटिल और रोमांचक कहानियाँ पसंद की जा सकती हैं।

  2. क्यों पढ़ें या सुनाएं बच्चों को हिंदी कहानियाँ?

    बच्चों को हिंदी कहानियाँ पढ़ना या सुनाना उनके सर्वांगीण विकास के लिए बहुत फायदेमंद है। यह न केवल उनकी भाषा और कल्पना शक्ति को बढ़ाता है, बल्कि उन्हें जीवन के मूल्यों से भी परिचित कराता है।

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निष्कर्ष

Kids story in hindi एक अनमोल उपहार हैं। ये न केवल बच्चों का मनोरंजन करती हैं, बल्कि उन्हें जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में समझने में भी मदद करती हैं। आइए, हम सभी मिलकर बच्चों को हिंदी कहानियों की दुनिया से रूबरू कराएं और उन्हें एक बेहतर इंसान बनाने में योगदान दें।

संपादक का नोट: यह लेख मूल रूप से अक्टूबर 26, 2024 को प्रकाशित किया गया था। इसे और अधिक व्यापक, सटीक और प्रासंगिक बनाने के लिए अप्रैल 03, 2025 को अपडेट किया गया है। हमें आशा है कि यह संस्करण आपकी अपेक्षाओं पर खरा उतरेगा। यदि आपके पास कोई सुझाव या प्रतिक्रिया हो, तो कृपया हमें अवश्य बताएं। आपकी राय हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है। धन्यवाद!

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2 टिप्पणी

  1. बहुत ही सुंदर और प्रेरणादायक कहानी! बच्चों के लिए सीखने और मनोरंजन का बेहतरीन माध्यम है। ऐसी कहानियां उनके नैतिक मूल्यों को समझाने और कल्पनाशक्ति बढ़ाने में मदद करती हैं। आपके प्रयास को सलाम!

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