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अनुसूचित जाति किसे कहते हैं | Anusuchit Jati Kise Kahate Hain

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क्या आप ढूंढ रहे हैं Anusuchit jati यानि अनुसूचित जाति किसे कहते हैं? तो बिल्कुल सही लेख पढ़ रहे है। इस पृष्ठ पर हम anusuchit jati ka arth के बारे में विस्तार से जानेंगे। और इससे सम्बंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उत्तर भी जानेंगे। अतः आगे ध्यान से पूरी आर्टिकल पढ़े।

इस लेख का मुख्य बिंदु:

  • अनुसूचित जाति: (Scheduled Castes, SC) भारत में एक सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग को संदर्भित करता है। भारत का संविधान इन जातियों को विशेष संरक्षण प्रदान करता है ताकि वे मुख्यधारा में शामिल हो सकें।
  • संविधान में उल्लेख: भारत का संविधान अनुच्छेद 366(24) और 341 में अनुसूचित जाति को परिभाषित करता है।
  • राष्ट्रपति का अधिकार: राष्ट्रपति, किसी राज्य के राज्यपाल से परामर्श करके, एक अधिसूचना जारी करके यह निर्धारित करता है कि कौन सी जाति या समुदाय अनुसूचित जाति के अंतर्गत आएगा।
  • संसद का अधिकार: संसद, कानून बनाकर, अनुसूचित जाति की सूची में बदलाव कर सकती है।
  • आरक्षण का प्रतिशत: भारत में केंद्रीय शिक्षण संस्थानों, सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति के लिए 15% आरक्षण है।
  • जनसंख्या: 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में अनुसूचित जाति की कुल जनसंख्या लगभग 20 करोड़ है, जो देश की कुल आबादी का 16.6% है।

आगे विस्तार से पढ़े – अनुसूचित जाति कौन है, अर्थ क्या, संविधान में क्या प्रावधान है, जनसंख्या और आरक्षण कितना प्रतिशत है इत्यादि।

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Anusuchit Jaati Kise kahate Hain

विषय सूची

अनुसूचित जाति किसे कहते हैं | Anusuchit Jati Kise Kahate Hain

भारतीय संविधान में अनुच्छेद 366(24) में, “अनुसूचित जाति” शब्द का स्पष्ट अर्थ बताता है। इस अनुच्छेद के अनुसार, “अनुसूचित जाति” का मतलब है “ऐसी जातियां, मूलवंश या जनजातियां अथवा ऐसी जातियों, मूलवंशों या जनजातियों के भाग या उनमें के यूथ अभिप्रेत हैं, जिन्हें संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत “अनुसूचित जाति (Scheduled Castes)” घोषित किया गया है।

अनुच्छेद 341(1) यह बताता है कि कौन सी जाति या समुदाय अनुसूचित जाति के रूप में माना जाएगा। राष्ट्रपति, किसी राज्य या संघ राज्यक्षेत्र के संबंध में और जहां वह राज्य है वहां उसके राज्यपाल से परामर्श करने के पश्चात् लोक अधिसूचना द्वारा, उन जातियों, मूलवंशों या जनजातियों, अथवा जातियों, मूलवंशों या जनजातियों के भागों या उनमें के यूथों को विनिर्दिष्ट कर सकेगा, जिन्हें इस संविधान के प्रयोजनों के लिए व्यथास्थिति, उस राज्य या संघ राज्यक्षेत्र के संबंध में अनुसूचित जातियां समझा जाएगा।

अनुच्छेद 341(2) यह बताता है कि अनुसूचित जाति की सूची में बदलाव कैसे किए जा सकते हैं। संसद्, विधि द्वारा, किसी जाति, मूलवंश या जनजाति को अथवा जाति, मूलवंश या जनजाति के भाग या उसमें के यूथ को खंड (1) के अधीन निकाली गई अधिसूचना में विनिर्दिष्ट अनुसूचित जातियों की सूची में सम्मिलित कर सकेगी या उसमें से अपवर्जित कर सकेगी, किन्तु जैसा ऊपर कहा गया है उसके सिवाय उक्त खंड के अधीन निकाली गई अधिसूचना में किसी पश्चातवर्ती अधिसूचना द्वारा परिवर्तन नहीं किया जाएगा।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उत्तर

  1. भारत में अनुसूचित जाति की जनसंख्या कितनी है?

    जनगणना 2011 के अनुसार, अनुसूचित जातियों की संख्या 20 करोड़ 13 लाख 78 हजार 86 है, जो देश की कुल आबादी का 16.6% प्रतिनिधित्व करती है।

  2. भारत में अनुसूचित जाति का आरक्षण कितनी प्रतिशत है?

    भारत में केंद्रीय शिक्षण संस्थानों, सरकारी नौकरियों और अन्य सरकारी लाभों में अनुसूचित जाति का आरक्षण 15% है।

निष्कर्ष

भारतीय संविधान अनुसूचित जातियों को विशेष अधिकार प्रदान करता है ताकि उन्हें सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक रूप से मुख्यधारा में लाया जा सके। आशा है इस लेख में दी गई जानकारी अनुसूचित जाति की परिभाषा और भारत में उनकी स्थिति, आरक्षण, जनसंख्या आपको पसंद आया हो तो अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और परिचितों में सोशल मीडिया प्लेटफार्म जैसे – फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर, टेलीग्राम और पिंटरेस्ट इत्यादि पर शेयर करें और नीचे कमेंट कर अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे।

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