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अनुसूचित जनजाति किसे कहते हैं | Anusuchit Janjati Kise Kahate hain

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क्या आप ढूंढ रहे हैं Anusuchit Janjati यानि अनुसूचित जनजाति किसे कहते हैं? तो बिल्कुल सही लेख पढ़ रहे है। इस पृष्ठ पर हम anusuchit janjati ka arth के बारे में विस्तार से जानेंगे। और इससे सम्बंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उत्तर भी जानेंगे। अतः आगे ध्यान से पूरी आर्टिकल पढ़े।

इस लेख का मुख्य बिंदु:

  • संवैधानिक परिभाषा: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 366(25) और 342 में अनुसूचित जनजाति को परिभाषित किया गया है।
  • राष्ट्रपति द्वारा घोषणा: राष्ट्रपति, किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के लिए, अनुसूचित जनजातियों की सूची को अधिसूचित करता है।
  • संसद द्वारा संशोधन: संसद, इस सूची में बदलाव कर सकती है।

आगे विस्तार से पढ़े – अनुसूचित जनजाति कौन है, अर्थ क्या, संविधान में क्या प्रावधान है, जनसंख्या और आरक्षण कितना प्रतिशत है इत्यादि।

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विषय सूची

अनुसूचित जनजाति किसे कहते हैं | Anusuchit Janjati Kise Kahate hain

भारतीय संविधान में अनुच्छेद 366(25) में, “अनुसूचित जनजाति” शब्द का स्पष्ट अर्थ बताता है। इस अनुच्छेद के अनुसार, “अनुसूचित जनजाति” का मतलब है “ऐसी जनजातियाँ या जनजातीय समुदाय अथवा ऐसी जनजातियों या जनजातीय समुदायों के भाग या उनमें के समूह अभिप्रेत हैं, जिन्हें संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत “अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribes)” घोषित किया गया है।

अनुच्छेद 342(1) यह बताता है कि कौन सी जनजाति या जनजातीय समुदाय अनुसूचित जनजाति के रूप में माना जाएगा। राष्ट्रपति, किसी राज्य या संघ राज्यक्षेत्र के संबंध में और जहां वह राज्य है वहां उसके राज्यपाल से परामर्श करने के पश्चात् लोक अधिसूचना द्वारा, उन जनजातियों या जनजाति समुदायों अथवा जनजातियों या जनजाति समुदायों के भागों या उनमें के यूथों को विनिर्दिष्ट कर सकेगा, जिन्हें इस संविधान के प्रयोजनों के लिए, यथास्थिति, उस राज्य या संघ राज्यक्षेत्र के संबंध में अनुसूचित जनजातियां समझा जाएगा।

अनुच्छेद 342(2) यह बताता है कि अनुसूचित जनजाति की सूची में बदलाव कैसे किए जा सकते हैं। संसद्, विधि द्वारा, किसी जनजाति या जनजाति समुदाय को अथवा किसी जनजाति या जनजाति समुदाय के भाग या उसमें के यूथ को खंड (1) के अधीन निकाली गई अधिसूचना में विनिर्दिष्ट अनुसूचित जनजातियें की सूची में सम्मिलित कर सकेगी या उसमें से अपवर्जित कर सकेगी, किन्तु जैसा ऊपर कहा गया है उसके सिवाय उक्त खंड के अधीन निकाली गई अधिसूचना में किसी पश्चातवर्ती अधिसूचना द्वारा परिवर्तन नहीं किया जाएगा।

अनुसूचित जनजाति में शामिल होने के मानदंड क्या हैं?

किसी समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के लिए निम्नलिखित मानदंड हैं:

  1. आदिम लक्षणों के संकेत: समुदाय के सदस्यों में आदिम लक्षणों का होना।
  2. विशिष्ट संस्कृति: समुदाय की अपनी अलग भाषा, धर्म, रीति-रिवाज और सामाजिक संरचना होनी चाहिए।
  3. भौगोलिक एकाकीपन: समुदाय भौगोलिक रूप से अलग-थलग रहता हो और गैर-समुदाय की संस्कृति से कम संपर्क में रहता हो।
  4. समुदाय के साथ स्वछंद सम्पर्क में संकोच: समुदाय के लोग बृहत्तर समुदाय के लोगों के साथ मिलजुल बनाने में हिचकिचाते हों।
  5. पिछड़ापन: समुदाय सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा हुआ हो।

ये मानदंड संविधान में सीधे तौर पर नहीं लिखे गए हैं, लेकिन कई अध्ययनों और समितियों की रिपोर्ट्स के आधार पर बनाए गए हैं। इनमें 1931 की जनगणना, कालेलकर आयोग की रिपोर्ट और लोकुर समिति की रिपोर्ट प्रमुख हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उत्तर

  1. भारत में अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या कितनी है?

    जनगणना 2011 के अनुसार, अनुसूचित जनजातियों की संख्या 104 मिलियन है, जो देश की कुल आबादी का 8.6% प्रतिनिधित्व करती है।

  2. भारत में अनुसूचित जनजाति का आरक्षण कितनी प्रतिशत है?

    भारत में अनुसूचित जनजाति का आरक्षण 7.5 प्रतिशत है।

  3. अनुसूचित जनजाति को कौन-कौन से अधिकार प्राप्त हैं?

    भारतीय संविधान अनुसूचित जनजातियों को कई विशेष अधिकार प्रदान करता है, जैसे कि शिक्षा, रोजगार और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में आरक्षण। इसके अलावा, सरकार द्वारा अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए कई योजनाएं चलाई जाती हैं, जैसे कि आवासीय स्कूल, स्वास्थ्य सुविधाएं और आर्थिक सहायता।

  4. भारत में अनुसूचित जनजाति कहाँ-कहाँ पाई जाती हैं?

    अनुसूचित जनजातियां भारत के विभिन्न राज्यों में पाई जाती हैं, विशेषकर पहाड़ी और वन क्षेत्रों में। भारत के पूर्वोत्तर राज्यों, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और महाराष्ट्र में अनुसूचित जनजातियों की संख्या अधिक है।

  5. अनुसूचित जनजाति का विकास क्यों महत्वपूर्ण है?

    अनुसूचित जनजातियों का विकास भारत के समग्र विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इन समुदायों को मुख्यधारा में लाने और उन्हें सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से सशक्त बनाने से देश की समृद्धि और एकता में योगदान होगा।

निष्कर्ष

भारतीय संविधान अनुसूचित जनजातियों को विशेष अधिकार प्रदान करता है ताकि उन्हें सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक रूप से मुख्यधारा में लाया जा सके। आशा है इस लेख में दी गई जानकारी अनुसूचित जनजाति की परिभाषा, मानदंड और भारत में उनकी स्थिति आपको पसंद आया हो तो अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और परिचितों में सोशल मीडिया प्लेटफार्म जैसे – फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर, टेलीग्राम और पिंटरेस्ट इत्यादि पर शेयर करें और नीचे कमेंट कर अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे।

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